Published by : BST News Desk
भरतपुर/राजस्थान: दिनांक 10 दिसंबर 2025, खेलों में शायद ही दो खिलाड़ियों की पृष्ठभूमि एक-दूसरे से इतनी विपरीत होती होगी, जितनी कि भरतपुर में आयोजित केआईयूजी 2025 की बॉक्सिंग प्रतियोगिता में देखने को मिली। एक ओर हरियाणा की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी की प्रतिनिधि भारती थीं, जिन्होंने महिलाओं के मिनिमम वेट (45–48 किग्रा) वर्ग में शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता। दूसरी ओर महाराष्ट्र की सवित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी की प्रतिनिधि देविका सत्यजीत घोरपड़े थीं, जिन्होंने उम्मीदों पर खरा उतरते हुए महिलाओं के 52 किग्रा वर्ग में स्वर्ण अपने नाम किया।
दोनों एथलीट बिल्कुल अलग सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमियों से आती हैं। 23 वर्षीय भारती के पिता ईंट-भट्टे में काम करते हैं और रोज़ाना 250–300 रुपये कमाते हैं। वहीं देविका के पिता का अपना निर्माण व्यवसाय है। लेकिन इन दोनों में एक समान बात है और वह अपना संघर्ष, अपनी लगन और भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना है।
भारती का मानना है कि छोटे स्तर पर मिलने वाली आर्थिक मदद खिलाड़ियों की राह बहुत आसान कर सकती है। वह कहती हैं, “हम जैसे बैकग्राउंड से आने वाले खिलाड़ी शुरुआत में बुनियादी चीज़ों के लिए भी संघर्ष करते हैं। हमे सामान, डाइट, रहने की सुविधा कुछ भी आसानी से नहीं मिलता। अगर हालात बदलने का कोई चमत्कार न हो, तो प्रदर्शन भी प्रभावित होता है और हौसला भी। हमें सिर्फ थोड़ी मदद मिल जाए, तो हम बहुत बेहतर कर सकते हैं।”
2019 में उत्तराखंड में आयोजित यूथ नेशनल्स में स्वर्ण जीत चुकीं भारती ने तीसरे प्रयास में अपना पहला केआईयूजी पदक जीता है। वहीं, देविका की कहानी प्रेरणादायक उपलब्धियों से भरी हुई है। वह 2022 की यूथ वर्ल्ड चैंपियन हैं। यह प्रतियोगिता स्पेन में हुई थी। इससे पहले उन्होंने सर्बिया में आयोजित गोल्डन ग्लव ऑफ वॉइवोडिना यूथ बॉक्सिंग टूर्नामेंट में भी स्वर्ण जीता था।
2021 दुबई एशियन जूनियर चैंपियनशिप में और 2024 कज़ाख़स्तान यू-22 एशियन चैंपियनशिप में वह कांस्य पदक जीत चुकी हैं। उनके नाम तीन खेलो इंडिया यूथ गेम्स के स्वर्ण पदक भी हैं। फिलहाल वह साई के नेशनल सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस -छत्रपति संभाजीनगर में प्रशिक्षण लेती हैं।
देविका कहती हैं, “मेरा लक्ष्य सीनियर नेशनल्स है। अगर मैं वहां जीत जाती हूं, तो अगले साल ग्लासगो में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों और जापान में होने वाले एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर सकती हूं। खेलो इंडिया हमारे जैसे खिलाड़ियों के लिए बहुत अच्छे प्रतिस्पर्धात्मक अवसर देता है।”
उल्लेखनीय है कि केआईयूजी में अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी ऑफ़ हरियाणा की मोहिनी को हराकर स्वर्ण जीता।


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