By विनय मिश्रा नई दिल्ली: दिनांक 14 दिसंबर 2025, विहिप के विश्व विभाग के पूर्व महा मंत्री व उपाध्यक्ष तथा हिंदू - बौद्ध समन्वय में दक्ष मोहन धर दीवान जी एक ऐसे अनुपम व्यक्तित्व के धनी थे जो किसी भी कठिन से कठिन कार्य को सरलता से करते हुए हर किसी को अपना मित्र बना लेते थे। वे हिंदू समाज व संगठन कार्यों में भी निपुण थे। उन्होंने गत मंगलवार को प्रात: 11 बजे अपना नश्वर शरीर को त्याग दिया।
ये उदगार विभिन्न मूर्धन्य वक्ताओं ने दक्षिणी दिल्ली स्थित विश्व हिंदू परिषद मुख्यालय में आज सायंकाल हुई एक श्रद्धांजलि सभा में व्यक्त किए।
इस सभा में विहिप संरक्षक दिनेश चंद्र, महामंत्री बजरंग लाल बागड़ा, संगठन महा मंत्री मिलिंद परांडे, सह संगठन महा मंत्री विनायक राव देश पांडे, संयुक्त महामंत्री पू स्वामी विज्ञानानन्द व कोटेश्वर शर्मा, केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज, सुधांशु पटनायक व अशोक तिवारी तथा राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल के साथ दीवान के बेटे, बेटी, पत्नी व अन्य परिजन भी उपस्थित थे।
मूलतः छत्तीसगढ़ में चांपा में जन्मे दीवान ने गत मंगलवार को दक्षिणी दिल्ली स्थित नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट में 91 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली।
वक्ताओं ने बताया कि किस प्रकार मोहनधर दीवान ने राम मंदिर आंदोलन की न्यायिक प्रक्रिया में मजबूती देने के लिए लोधी रोड स्थित एक फ्रेंच लाइब्रेरी से वर्ष 1786 में फ्रेंच भाषा में छपी 600 पृष्ठ की पुस्तक 'हिस्ट्री एंड ज्योग्राफी आफ इंडिया' को ढूंढ निकाला था। इस दुर्लभ पुस्तक को भारत में ढूंढना और न्यायालय को उपलब्ध कराना उस समय की एक बड़ी चुनौती थी। बाद में इसी पुस्तक के साक्ष्य राम जन्मभूमि मुक्ति के संबंध में दिए गए वर्ष 2010 के उच्च न्यायालय और वर्ष 2019 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का हिस्सा बने।
इसी प्रकार से अनेक कठिन कार्यों को उन्होंने हनुमान जी की तरह सहजता और कर्मठता से सरल कर दिखाया था। सभी ने कृतज्ञ भाव से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

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