Hot Posts

8/recent/ticker-posts

तीसरा स्वर्ण, अब नज़र कॉमनवेल्थ पर — जूडोका रितिक शर्मा की केआईयूजी से उठी बड़ी दावेदारी!

Published by : BST News Desk

उदयपुर/राजस्थान: दिनांक 9 दिसंबर 2025, छह साल पहले जब पंजाब के युवा जूडोका रितिक शर्मा ने साई के भोपाल स्थित नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एनसीओई) में कदम रखा, तभी से उनका करियर लगातार ऊंचाइयों की ओर बढ़ता गया। बीते दिनों खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (KIUG) राजस्थान 2025 में उन्होंने एक और मजबूत प्रदर्शन करते हुए अपनी शानदार यात्रा में एक नया स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया।

तीसरा स्वर्ण, अब नज़र कॉमनवेल्थ पर — जूडोका रितिक शर्मा की केआईयूजी से उठी बड़ी दावेदारी!

उदयपुर के अटल बिहारी वाजपेयी इंडोर हॉल में अपने चौथे केआईयूजी में हिस्सा लेते हुए रितिक—जो लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) का प्रतिनिधित्व कर रहे थे—ने अपना तीसरा केआईयूजी स्वर्ण पदक जीता। उनके खाते में इससे पहले एक कांस्य पदक भी शामिल है।

यह जीत इसलिए भी खास थी क्योंकि कुछ दिन पहले ही रितिक को हांगकांग में एशियन ओपन चैम्पियनशिप में पहले ही दौर में हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन वे उस निराशा में डूबने के बजाय सीधे उदयपुर पहुंचे और विदेशी दौरे से मिली सीख को अपनी रणनीति और मानसिक मजबूती में बदलते हुए शांत, संयमित और प्रभावी खेल दिखाया। फाइनल में उन्होंने अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी यश घांघस को हराकर खिताब अपने नाम किया।

रितिक और यश की प्रतिद्वंद्विता किशोरावस्था से चली आ रही है। दोनों पहली बार 2020 के खेलो इंडिया यूथ गेम्स, गुवाहाटी के फाइनल में आमने-सामने हुए थे। आज भी, एक ही एनसीओई में प्रशिक्षण लेने के कारण उनकी भिड़ंत हमेशा रोमांचक रहती है।

रितिक ने कहा,”हमारे वेट कैटेगरी में खिलाड़ी कम हैं, इसलिए हम एक-दूसरे को लंबे समय से जानते हैं। मैंने उसे पहली बार गुवाहाटी केआईवाईजी में हराया था, और केआईयूजी 2025 में फिर ऐसा कर पाने की खुशी है।”

तीसरा स्वर्ण, अब नज़र कॉमनवेल्थ पर — जूडोका रितिक शर्मा की केआईयूजी से उठी बड़ी दावेदारी!

उन्होंने अधिक विदेशी एक्सपोजर की जरूरत पर जोर दिया। रितिक ने आगे कहा, “पहले राउंड में हारने के बावजूद हांगकांग से मैं बहुत कुछ सीखकर लौटा हूं। जूडो में मानसिक मजबूती भी उतनी ही जरूरी है। ऐसे exposure trips से पता चलता है कि वर्ल्ड और ओलंपिक चैंपियन खेल को कैसे देखते हैं, उनकी तकनीकें क्या हैं और विश्व स्तर के खिलाड़ियों के साथ स्पैरिंग का अनुभव मिलता है।”

रितिक का सफर भारत के मुख्य खेल केन्द्रों से दूर, पंजाब के सीमावर्ती जिले गुरदासपुर से शुरू हुआ। सीमित संसाधनों और कम अवसरों वाले माहौल में पले-बढ़े रितिक ने वर्ष 2015 में, 14 साल की उम्र में, जूडो के प्रति अपना जुनून खोजा और फिर पूरी लगन से इसी राह पर चल पड़े।

पंजाब पुलिस में एएसआई पिता और तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे रितिक ने अपनी शुरुआती ट्रेनिंग शहीद भगत सिंह JFI कोचिंग सेंटर में ली—एक ऐसा केंद्र जिसने अब तक 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और 100 से ज्यादा राष्ट्रीय स्तर के जूडोका तैयार किए हैं। वहीं मिली मजबूत नींव ने रितिक को अंतरराष्ट्रीय स्तर की चुनौतियों में भी संभाले रखा।

पिछले वर्ष कज़ाख़स्तान और ताजिकिस्तान में हुए ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट्स में भले ही वे खाली हाथ लौटे हों, लेकिन अब केआईयूजी स्वर्ण से मिले आत्मविश्वास के साथ 24 वर्षीय रितिक 11 दिसंबर से इंफाल में शुरू होने वाली सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप की तैयारी में जुटे हुए हैं।

हालांकि, अपने वेट कैटेगरी में उच्च स्तरीय स्पैरिंग पार्टनर्स की कमी अभी भी उनके सामने एक बड़ी चुनौती है। इसके बावजूद वे अपनी सीमाओं को लगातार आगे बढ़ा रहे हैं और अब उनकी नज़र 2026 कॉमनवेल्थ गेम्स की टीम में जगह बनाने पर है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ