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संविधान सम्मान सप्ताह में सर बी. एन. राव की ऐतिहासिक भूमिका पर राष्ट्रीय विमर्श

By विनय मिश्रा नई दिल्ली: संविधान सभा के अंगीकृत करने का दिवस 26 नवंबर को है। हिंदुओं का, हिंदू महिलाओं का सबसे बड़ा संगठन, हिंदू शक्ति परिषद द्वारा, संविधान निर्माण में संविधान सभा के सदस्यों के साथ-साथ, प्रमुख निर्माता, मुख्य निर्माता, सर बी. एन. राव की क्या भूमिका थी? इसको लेकर के एक कार्यक्रम मालवीय मिशन के सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, शाम्भवी पीठ के पिठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज ने कहा कि संविधान हजारों वर्षों की गुलामी के बाद भारत का लोकतंत्र, लोक की सत्ता स्थापित करने का एक समग्र इतिहास, समग्र कानून की किताब है। कभी मनुस्मृति से चलने वाला यह देश आज जनता की, जनता के द्वारा, जनता के लिए बनाए गए संविधान से चल रहा है। इसमें जिन महापुरुषों का महत्वपूर्ण योगदान है, उन्हें निश्चित रूप से आज के दिन याद किया जाना चाहिए।

संविधान सम्मान सप्ताह में सर बी. एन. राव की ऐतिहासिक भूमिका पर राष्ट्रीय विमर्श

जब संविधान सभा बनी तो कैबिनेट मिशन के आदेश के बाद कैबिनेट मिशन ने आदेश किया कि दो संस्थाएं बनेंगी। एक संस्था थी संविधान निर्माण कार्यालय और दूसरी जनता द्वारा चुनी हुई संविधान सभा। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। पंडित नेहरू, पटेल, के. एम. मुंशी, टिटि कृष्णमचारी, अन्य ऐसे संविधान विशेषज्ञ थे जो संविधान सभा में लंबी बहस के बाद इसको अंगीकृत किए। लेकिन आखिर किस पर बहस हुई? कौन बनाया वह मुख्य प्रारूप? उस प्रारूप के मुख्य निर्माता जो थे, वह बेनेगल नरसिंह राव, जो एक आई. ए. एस. अधिकारी थे। बाद में चल करके वह जज बने। डिस्ट्रिक्ट जज से हाई कोर्ट जज हुए। सुप्रीम कोर्ट, प्रीवी काउंसिल में जाने ही वाले थे कि उनको रिफॉर्म कमिश्नर बना करके भारत सरकार ने दिल्ली में नियुक्त कर दिया। रिफॉर्म कमिश्नर रहने के दौरान उन्होंने 1935 का इंडिया एक्ट लिखा। भारत में एस. सी., एस. टी. का जो सूची बनी उसका निर्माण किया।

स्वामी गोविन्दानंद सरस्वती जी महाराज ने काली सेना को हिन्दुओं की समस्याओं के समाधान का आधार बताया साथ ही किसी देश के विकास विकास के लिए बौद्धिक समझ होना अति आवश्यक है जबकि भारत बौद्धिक रूप से स्मृति है अगर हम इस जन्म में ऋण मुक्ति की बात करते हैं तो मात्र री से मुक्त होने के लिए आपको अपने कर्तव्य का निर्वहन करना ही पड़ेगा।

ऐश्वर्या संविधान मानवता के कल्याणी के लिए है आज भी हम माननीय न्यायालय में ईश्वर के शपथ लेने की बात करते हैं और हमें इस संविधान को मनाना चाहिए। भारत गांव का देश है और लोग जाति संस्कृति देखने आते हैं।



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