Published by : BST News Desk
जयपुर/राजस्थान: दिनांक 06 दिसंबर 2025, जब दक्षिण सूडान की अकोट बेकी पॉल माकुएई ने भारत में बी.एससी. बायोटेक्नोलॉजी पढ़ने के लिए स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप कोटे के तहत आवेदन किया था, तब उन्हें यकीन नहीं था कि अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाने के साथ साथ वह अपनी बास्केटबॉल से जुड़ी आकांक्षाओं को भी आगे बढ़ा पाएंगी।
18 वर्षीय अकोट को डर था कि अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी बनने का उनका सपना कहीं पीछे न छूट जाए। लेकिन चेन्नई पहुंचते ही वहां की मजबूत बास्केटबॉल संस्कृति और एसआरएम यूनिवर्सिटी से मिले अपार समर्थन ने उनकी सारी शंकाएँ दूर कर दीं।
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स राजस्थान 2025 में एसआरएम यूनिवर्सिटी की महिलाओं की टीम उपविजेता रही, लेकिन उनके बीच की एकजुटता, जुनून और खेल के प्रति समर्पण ने उन्हें खास बना दिया। फाइनल तक पहुंचने की इस यात्रा में अकोट ने अहम भूमिका निभाई।
अकोट ने साई मीडिया से कहा, “यहाँ आने से पहले बहुत से लोग मानते थे कि भारत में बास्केटबॉल नहीं खेली जाती, क्योंकि भारत को ज्यादातर क्रिकेट के लिए जाना जाता है। लेकिन जब मैं यहाँ आई, तो मैं हैरान रह गई। मुझे बहुत सपोर्टिव टीम मिली।”
दक्षिण सूडान के रुम्बेक में पली-बढ़ी अकोट को बास्केटबॉल खेलने के लिए चुपके से घर से निकलना पड़ता था, क्योंकि उनके माता-पिता चाहते थे कि वे पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल करें। वह चाहते थे कि उनकी बेटी अपनी बड़ी बहन अकॉन पॉल माकुएई क़ीबतरह ना बने, जो अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी हैं।
लेकिन छह भाई-बहनों में सबसे छोटी अकोट ने पढ़ाई और खेल दोनों में बेहतर करने की ठान रखी थी। उन्होंने कहा, “मेरे माता-पिता हमेशा कहते थे कि पढ़ाई पर ध्यान दो। मेरी बड़ी बहन पहले से ही हमारे देश का प्रतिनिधित्व करती है और वे कहते थे कि एक खिलाड़ी ही काफी है। बाद में उन्होंने मुझे अपने सपने पूरा करने की अनुमति दी और इसी तरह मैं यहाँ तक पहुंची।”
साल 2020 में कोविड-19 के कारण पिता के निधन ने उनके सपनों को फिर एक बार रोक दिया। तभी उनकी बहन ने उन्हें विदेश में स्कॉलरशिप प्रोग्राम्स के लिए आवेदन करने और अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।
केआईयूजी 2025 भारत में अकोट का पहला बड़ा टूर्नामेंट है, जिसमें वे इस साल जुलाई में चेन्नई आने के बाद खेल रही हैं। यहाँ की व्यवस्थाओं और प्रतियोगिता के स्तर ने उन्हें काफी प्रभावित किया। वह कहती है, “यहाँ की व्यवस्थाएँ अद्भुत हैं।कोर्ट, कोच और पूरा वेन्यू एकदम परफेक्ट है। संगठन, सुविधाएँ, सब कुछ बेहतरीन है। खिलाड़ियों को जो समर्थन मिलता है और जिस स्तर पर हर मैच खेला जाता है, वह देखकर मैं हैरान रह गई।”
अकोट चाहती हैं कि भारत में मिला यह अनुभव उनके लिए एक लॉन्चपैड साबित हो, जिससे वे दक्षिण सूडान की राष्ट्रीय टीम तक पहुँच सकें। उन्हें भरोसा है कि चेन्नई में बिताए गए उनके तीन वर्ष न सिर्फ उन्हें एक बेहतर खिलाड़ी बनाएंगे, बल्कि एक बेहतर इंसान भी।


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