By विनय मिश्रा नई दिल्ली: राष्ट्रीय परशुराम परिषद के तत्वावधान में आज दिनांक 17 दिसम्बर 2025 को प्रातः 10:00 बजे दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर महिलाओं के प्रति अपमानजनक टिप्पणी एवं समाज में जातिगत विद्वेष फैलाने वाले बयान के विरोध में एक विशाल एवं शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया। यह धरना संतोष वर्मा द्वारा महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुँचाने तथा समाज में जातिगत विद्वेष फैलाने वाले आपत्तिजनक वक्तव्यों के विरोध में आयोजित किया गया।
इस धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व आदरणीय पंडित अश्विनी कुमार चौबे जी (पूर्व मंत्री, भारत सरकार) एवं पंडित सुनील भराला जी (संस्थापक संरक्षक, राष्ट्रीय परशुराम परिषद एवं नि. राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार) ने किया। कार्यक्रम में 700 से 1000 की संख्या में देश के विभिन्न राज्यों से आए नागरिकों, सामाजिक संगठनों एवं परिषद के कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की।
परिषद का स्पष्ट और दो टूक मत है कि किसी भी जिम्मेदार पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा इस प्रकार की भाषा का प्रयोग केवल महिलाओं का घोर अपमान ही नहीं, बल्कि संविधान, सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता पर खुला हमला है। परिषद ने आक्रामक स्वर में कहा कि महिला सम्मान को रौंदने वालों के लिए सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं है और यदि ऐसे तत्वों पर कठोरतम कार्रवाई नहीं हुई, तो यह कानून व्यवस्था की विफलता मानी जाएगी।
माननीय पंडित सुनील भराला जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि महिलाओं के सम्मान की रक्षा के लिए आज उसी दृढ़ संकल्प और साहस की आवश्यकता है, जैसा महाराणा प्रताप और रानी लक्ष्मीबाई ने दिखाया था। उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह जी की परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि नारी सम्मान हमारी संस्कृति की आत्मा है और इसके विरुद्ध दिया गया कोई भी बयान असहनीय और अस्वीकार्य है।
पंडित सुनील भराला जी ने संतोष वर्मा द्वारा ब्राह्मण समाज की बेटियों के विरुद्ध की गई अपमानजनक टिप्पणी को घृणित, शर्मनाक और समाज को तोड़ने वाला कृत्य बताते हुए कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के बयान केवल एक समाज नहीं, बल्कि पूरे नारी समाज को अपमानित करने का दुस्साहस हैं। परिषद ने साफ चेतावनी दी कि यदि ऐसे लोगों पर तुरंत कठोरतम कानूनी कार्रवाई नहीं हुई, तो जनआक्रोश सड़कों से संसद तक गूंजेगा, जिसकी सम्पूर्ण नैतिक जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
धरना-प्रदर्शन में सुनील दत्त शर्मा जी (कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय परशुराम परिषद), अजय भारद्वाज जी (राष्ट्रीय अध्यक्ष, परशुराम स्वाभिमान सेना), रजनीश त्यागी जी (दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय परशुराम परिषद), पंडित अनुराग गौड़, सोनू पंडित, विशाल भारद्वाज जी, नीलम पांडेय जी, जीवनन्द शर्मा जी (राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं प्रदेश अध्यक्ष, जम्मू-कश्मीर), मीनू शर्मा (उपाध्यक्ष), शिवानी सिंह (राष्ट्रीय प्रवक्ता), मीडिया प्रभारी अंकाशा शुक्ला, डॉ. हर्षवर्धन सिंह (अध्यक्ष, महाराणा प्रताप सेना) सहित अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी, संत-महात्मा, सामाजिक कार्यकर्ता एवं बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।
धरना स्थल से एक स्वर में यह माँग उठी कि सरकार संतोष वर्मा जैसे लोगों पर कड़े से कड़ा कानूनी प्रहार करे और उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुँचाने का दुस्साहस न कर सके। परिषद ने स्पष्ट किया कि सिर्फ माफी नहीं, बल्कि कानून के तहत सख्त सजा ही न्याय होगी, फिर भी संतोष वर्मा को सार्वजनिक मंच से देश की महिलाओं से बिना शर्त माफी माँगनी होगी, क्योंकि यह अपराध पूरे नारी समाज के आत्मसम्मान पर हमला है।
प्रमुख माँगें:
महिलाओं के प्रति अपमानजनक एवं जातिगत विद्वेष फैलाने वाले बयानों पर तत्काल और कठोर कार्रवाई।
संतोष वर्मा के विरुद्ध निष्पक्ष जाँच कर दोष सिद्ध होने पर कड़ी से कड़ी सजा।
संतोष वर्मा द्वारा सार्वजनिक रूप से महिलाओं से माफी।
शासन-प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में कोई भी पदाधिकारी या सार्वजनिक व्यक्ति इस प्रकार का गैर-जिम्मेदाराना बयान न दे।
समाज को स्पष्ट और सख्त संदेश दिया जाए कि महिला सम्मान से कोई समझौता नहीं होगा।



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