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एक गलती, थोड़ी मुस्कान… और सीधा गोल्ड - अंशिका की कमबैक कहानी जिसने सबको हैरान कर दिया!

Published by : BST News Desk

जयपुर /राजस्थान : दिनांक 28 नवंबर 2025, महिलाओं की रिकर्व फाइनल में सृष्टि जायसवाल के खिलाफ दूसरे सेट में बेहद खराब निशाना लगाने के बाद भी खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स राजस्थान 2025 में अंशिका कुमारी ने अपने चेहरे की मुस्कान फीकी नहीं पड़ने दी। आमतौर पर इस तरह की शूटिंग किसी भी तीरंदाज का आत्मविश्वास हिला देती है लेकिन अंशिका ने दबाव में मुस्कुराने की कला की बदौलत जीत का फ़ॉर्मूला खोज लिया। लेकिन 23 वर्षीय एलपीयू (लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी) की खिलाड़ी ने ख़ुद से और कोचों से बातचीत और सकारात्मक सोच के जरिए अगले दो सेट आसानी से जीतते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। इसके बाद उनके चेहरे पर एक अलग तरह की मुस्कान नज़र आई। यह तरीका न सिर्फ उस फाइनल में उनके प्रदर्शन को बदला, बल्कि पिछले 12 महीनों में उनकी तीरंदाजी करियर की दिशा भी बदल दी है।

एक गलती, थोड़ी मुस्कान… और सीधा गोल्ड - अंशिका की कमबैक कहानी जिसने सबको हैरान कर दिया!

अंशिका ने साई मीडिया से कहा, “एक समय था जब मैं हर हारे हुए मैच पर हंस देती थी। सोचती थी, यह मैच भी मेरा नहीं था। इससे बुरा क्या होगा। अब अगले मैच पर फोकस करो। आखिरकार खेल वर्तमान पर ध्यान देने और एक समय में एक तीर छोड़ने का है। तनाव को हंसकर दूर करना ही मैंने आज फाइनल में किया।” दूसरे सेट में क्या गलती हुई, इस पर कोलकत्ता स्थित साई एनसीईओ प्रशिक्षु ने बताया कि उन्हें यह समझ ही नहीं आया कि तीर कहां लग रहा है क्योंकि उनके कोच के पास दूरबीन (टेलीस्कोप) नहीं थी। 

पटना (बिहार) से मूल रूप से आने वाली और भारतीय नौसेना में कार्यरत अपने पिता के साथ देशभर में रही अंशिका ने कहा, उस सेट के बाद उन्हें एक टेलीस्कोप मिला, लेकिन तब तक मैंने सिर्फ अपनी सांसों पर और अगले तीर पर ध्यान रखा। मुझे खुशी है कि मैं जीत पाई। लेकिन यह शांत स्वभाव आसानी से नहीं आया। स्कूल के दिनों में मुंबई में तीरंदाजी शुरू करने के बाद शुरुआत में तुरंत सफलता मिलने से बढ़ी अपेक्षाओं से अंशिका को खुद को संभालने में मुश्किल हुई।

एक गलती, थोड़ी मुस्कान… और सीधा गोल्ड - अंशिका की कमबैक कहानी जिसने सबको हैरान कर दिया!

खेल शुरू करने के तुरंत बाद ही अंशिका केवी (केंद्रीय विद्यालय) की ओर से स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया में स्वर्ण जीतने वाली पहली तीरंदाज बनीं। खेल जारी रखने के इरादे से उन्होंने झारखंड में सेल अकादमी में ट्रायल दिया और वहां प्रशिक्षण शुरू किया। कुछ साल में वह साई कोलकाता में चयनित होने लायक लगातार अच्छा प्रदर्शन करती रहीं, लेकिन राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं मिल पा रही थी। हालांकि इस साल परिस्थितियां उनके पक्ष में बदली हैं। इस साल तीनों वर्ल्ड कप में हिस्सा ले चुकी अंशिका ने कहा, “ मैंने हर असफलता से सीखा और हर हारे मैच को अपनी तकनीक सुधारने के लिए सीख की तरह इस्तेमाल किया।”

जयपुर में भी उन्होंने यही तरीका अपनाया। व्यक्तिगत फाइनल के तुरंत बाद खेले गए मिश्रित टीम इवेंट में उनका प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा और वे स्वर्ण पदक से चूक गईं। लेकिन ड्रॉ तकनीक में सुधार कर उन्होंने एलपीयू को रिकर्व टीम स्पर्धा में स्वर्ण जिताया। हाल ही में खेलो इंडिया जोनल ओपन जीत चुकी अंशिका अब 2026 में इस प्रदर्शन को बरकरार रखने पर ध्यान दे रही हैं, जिसमें एशियाई खेलों के लिए भारतीय टीम में जगह बनाना उनका मुख्य लक्ष्य है।

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