By विनय मिश्रा नई दिल्ली: राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय एवं हस्तकला अकादमी (National Crafts Museum & Hastkala Academy), प्रगति मैदान में शनिवार को ‘नये भारत की नयी खादी’ को नए स्वरूप में प्रस्तुत करते हुए ‘नवयुग खादी फैशन शो’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में खादी के आधुनिक और नवाचारी रूप को अत्यंत सुंदर ढंग से प्रदर्शित किया गया। यह फैशन शो खादी के बदलते स्वरूप और उसकी बढ़ती लोकप्रियता का प्रतीक बनकर उभरा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC), सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME), भारत सरकार के अध्यक्ष मनोज कुमार थे। उन्होंने फैशन शो में प्रदर्शित परिधानों तथा कारीगरों की मेहनत की सराहना की। यह कार्यक्रम KVIC, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर खादी (CoEK), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) तथा फैशन डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया (FDCI) की संयुक्त पहल से आयोजित किया गया। कार्यक्रम में केवीआईसी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एमएसएमई मंत्रालय के संयुक्त सचिव (एआरई), एमएसएमई मंत्रालय की आर्थिक सलाहकार व केवीआईसी की वित्तीय सलाहकार तथा निदेशक सीओईके के साथ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
अध्यक्ष KVIC ने अपने संबोधन में कहा कि खादी के इस पुनर्जागरण का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने खादी को केवल कपड़ा नहीं, बल्कि ‘राष्ट्रप्रेम और आधुनिक जीवनशैली दोनों का प्रतीक’ बना दिया है। उनका मंत्र- “Khadi for Nation, Khadi for Fashion और Khadi for Transformation” ने खादी को नई पहचान दी है। उन्होंने आगे कहा कि आज की खादी न सिर्फ पूज्य बापू की विरासत को संभालती है, बल्कि आधुनिक डिजाइन और फैशन की दुनिया में भी तेजी से अपनी जगह बना रही है। खादी अब गांवों तक सीमित नहीं है, बल्कि शहरों, रैंप शो और ग्लोबल मार्केट में भी लोकप्रिय हो रही है।
'नवयुग खादी’ केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि खादी को अधिक आधुनिक और भविष्य के अनुकूल बनाने की एक नई शुरुआत है। यहां पर पहली बार ‘डिजाइनर टीम’ के मार्गदर्शन में साड़ियां, परिधान, यार्डेज (yardages), एक्सेसरीज़ (accessories) और गृह-सज्जा के उत्पाद, देशभर के खादी संस्थानों के माध्यम से तैयार कर एक ही स्थान पर प्रदर्शित किए गए हैं। यह प्रदर्शनी उड़ीसा की इक्कत, असम की एरी सिल्क, गुजरात की तंगालिया, कर्नाटक की सिल्क, बंगाल की कॉटन, तेलंगाना और बिहार की बुनाइयों जैसे विविध क्षेत्रीय शिल्पों को एक साथ लाती है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नये भारत की नयी खादी’ के संकल्प को साकार करती है। इस प्रदर्शनी में खादी को एक आधुनिक, समावेशी और वैश्विक पहचान के रूप में प्रस्तुत किया गया है। फैशन शो में रैम्प पर एक से बढ़कर एक खादी डिज़ाइनों ने दर्शकों को प्रभावित किया। फैशन शो का सबसे प्रेरक क्षण तब आया जब देशभर से आए खादी संस्थानों के प्रतिनिधि और कारीगर रैम्प पर आए। इसके बाद KVIC के अध्यक्ष मनोज कुमार स्वयं कारीगरों के साथ रैम्प पर चले, जिससे यह संदेश मिला कि खादी की असली ताकत उसके कारीगरों में बसती है। यह दृश्य ‘ग्राम से ग्लैमर’ की नई यात्रा का प्रतीक बना।
अध्यक्ष महोदय ने कहा कि नवयुग खादी आज डिजाइन, तकनीक और परंपरा को एक साथ लेकर आगे बढ़ रही है। खादी सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि नई पीढ़ी की पसंद बन रही है। यह रोजगार, पर्यावरण और देश की आत्मनिर्भरता, तीनों से जुड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि फैशन शो में डिजाइनरों द्वारा तैयार कपड़ों को अब केवीआईसी मार्केटिंग का मंच उपलब्ध कराएगा। आगंतुक प्रदर्शनी में खादी उत्पादों को देख सकेंगे, खरीद सकेंगे और साथ ही हाथ-कताई, प्राकृतिक रंगाई और साड़ी पहनने की कार्यशालाओं में भी हिस्सा ले सकेंगे। उन्होंने आगे बताया कि केवीआईसी (KVIC) देशभर के खादी संस्थानों को शुरू से अंत तक हर तरह की मदद प्रदान कर रहा है जिसमें कच्चे माल से लेकर तैयार उत्पाद की बिक्री तक का मंच शामिल है। यह पूरा तंत्र खादी को ‘फार्म से फाइबर’ और ‘फाइबर से फैशन’ तक जोड़ता है, जहां हाथ-कताई और हाथ-बुनाई हमारी पहचान है।
एक दिन पहले 28 नवंबर को प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया था, जिसमें खादी नॉलेज पोर्टल (वॉल्यूम-II) का शुभारंभ हुआ। अध्यक्ष KVIC ने खादी संस्थानों से संवाद कर उनकी आवश्यकताओं को समझा और KVIC द्वारा निरंतर सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘खादी क्रांति’ ने पिछले 11 वर्षों में खादी और ग्रामोद्योग के कारोबार को 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये के पार पहुंचा दिया है, जबकि इस दौरान करीब 2 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है।
28 नवंबर से 3 दिसंबर 2025 तक सुबह 11 बजे से शाम 5.30 बजे तक चलने वाले इस आयोजन में प्रदर्शनी और खरीदारी के अलावा आगंतुकों के लिए हाथ-कताई (hand spinning), प्राकृतिक रंगाई (natural dyeing) और साड़ी ड्रेपिंग (sari draping) की रोचक कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी, जिनमें लोग प्रत्यक्ष रूप से खादी के अनुभव से जुड़ सकेंगे।




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