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भगिनी निवेदिता कॉलेज में की ईको क्लब “हरित निकुंज” द्वारा “ई-वेस्ट प्रबंधन के प्रति जागरूकता” विषय पर सेमिनार का सफल आयोजन

By विनय मिश्रा नई दिल्लीभगिनी निवेदिता कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में एक दिवसीय सेमिनार और हर्बल गार्डन में डॉ. ई.के. जानकी अम्माल को समर्पित सूचना बोर्ड का उद्घाटन एवं पौधारोपण का आयोजन किया गया।

भगिनी निवेदिता कॉलेज में की ईको क्लब “हरित निकुंज” द्वारा “ई-वेस्ट प्रबंधन के प्रति जागरूकता” विषय पर सेमिनार का सफल आयोजन

डॉ. ई.के. जानकी अम्माल भारत की पहली महिला वैज्ञानिक थीं और उन्हें “ शुगर वूमन”  के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने भारतीय कृषि और पौध अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बालाराम पानी (डीन ऑफ कॉलेजेस, दिल्ली विश्वविद्यालय) और गेस्ट ऑफ ऑनर प्रोफेसर संजय कुमार स्वामी (राष्ट्रीय संयोजक, पर्यावरण शिक्षा, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली) तथा अन्नू अरोड़ा (कार्यकारी निदेशक, ग्रीनकोलिंक प्रा. लि.) उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम प्रोफेसर रूबी मिश्रा, प्राचार्य के मार्गदर्शन और प्रेरणा एवं समन्वयक डॉ. प्रियंका मलिक के सहयोग से आयोजित किया गया।

प्राचार्य प्रो. रूबी मिश्रा ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में विद्यार्थियों को ई-वेस्ट प्रबंधन की आवश्यकता और उसके पर्यावरणीय प्रभावों के बारे में बताया। उन्होंने समझाया कि इसमें मौजूद विषैले तत्व मानव स्वास्थ्य और प्रकृति दोनों के लिए हानिकारक हैं, इसलिए इसका सही निपटान और पुनर्चक्रण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे अपने दैनिक जीवन में ई-वेस्ट को कम करने और पुनः उपयोग की दिशा में ठोस कदम उठाएँ।

प्रो. मिश्रा ने भारत की पहली महिला वैज्ञानिक डॉ. ई.के. जानकी अम्माल के वैज्ञानिक योगदान और उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका जीवन विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे सतत विकास और स्वच्छ पर्यावरण के लिए जिम्मेदार भूमिका निभाएँ।

इस अवसर पर प्रो. बालाराम पानी ने ई-वेस्ट के वैज्ञानिक निपटान, पुनर्चक्रण और सतत विकास के उपायों पर अपने विचार साझा किए। संजय कुमार स्वामी ने पर्यावरणीय चुनौतियों और सामूहिक उत्तरदायित्व पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए, जबकि अन्नू अरोड़ा ने ग्रीनकोलिंक की पर्यावरणीय पहल और सामाजिक दायित्व की जानकारी दी। साथ ही, इस अवसर पर आयोजित “हरित निकुंज लोगो प्रतियोगिता” की विजेता घोषित की गई और उन्हें पुरस्कार प्रदान किया गया।

कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. प्रियंका मलिक ने बताया कि इस सेमिनार ने विद्यार्थी को ई-वेस्ट प्रबंधन के प्रति जागरूक होने और इसके सही उपयोग के तरीकों को समझने का अवसर प्रदान किया। उन्होंने जाना कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में मूल्यवान धातुएँ होती हैं, जिन्हें पुनर्चक्रण से दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि पारा, सीसा, कैडमियम और क्रोमियम जैसे हानिकारक तत्व पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

इस आयोजन ने विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझाने के साथ उन्हें अपने परिवार और समाज में सतत जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया।

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