By चंदन शर्मा नई दिल्ली: देश जटिल जल संकट और जहरीले पीने के पानी की समस्या से जूझ रहा है। यह चेतावनी विश्व विख्यात वैज्ञानिक श्याम सुंदर राठी ने आज गंभीर स्वर में दी है। राठी के अनुसार प्रकृति वर्षा तथा हिमपात के माध्यम से 100 प्रतिशत शुद्ध जल उपलब्ध कराती है, फिर भी मतदाताओं के 125 से 145 करोड़ नागरिक जहरीले पानी के सेवन के लिए विवश हैं और प्रतिवर्ष लाखों लोग असमय अपनी जान गवा रहे हैं।
राठी ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ ) के आंकड़ों के हवाले से भारत में प्रतिवर्ष लगभग 1,50,0000 (एक करोड़ पचास लाख) लोग जहरीले पानी के कारण असमय मृत्यु का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने इसे “दुनिया का सबसे बड़ा सामूहिक नरसंहार” बताते हुए कहा कि यह केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि मानवीय और संस्थागत रूप से योजनाबद्ध उपेक्षा का परिणाम है। वैज्ञानिक ने सरकार और संबंधित विभागों से तत्काल कार्रवाई की मांग की है और राष्ट्रपति से भी आम जनता की जान बचाने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।
राठी के अध्ययन के अनुसार देश को आवश्यक पानी की मात्रा लगभग 300 क्यूबिक किलोमीटर (Km³) बतायी गयी है, जबकि जलसंपदा विभाग द्वारा अभी तक बनाए गए बांध और अन्य तकनीकों से 9,000 Km³ पानी संग्रहित किया जा रहा है- जो कि दावे के मुताबिक प्रकृति से प्राप्त शुद्ध जल के बराबर नहीं। राठी का आरोप है कि वास्तविकता यह है कि आम जनता मात्र 70 Km³ पानी उपयोग कर पा रही है जबकि बाकी नाममात्र की उपलब्धता “एलियन एवं भूत-प्रेत” जैसे रहस्यमयी हितधारकों के हाथ जा रही है। एक ऐसा शब्द जिसे वैज्ञानिक श्याम सुंदर राठी ने अपने विश्लेषण में प्रयोग किया है ताकि पानी की वास्तविक बर्बादी एवं अर्थिक गड़बड़ी पर ध्यान आकर्षित किया जा सके।
राठी ने आगे बताया कि यदि जल संपदा विभाग की प्राथमिकताओं को बदलकर जनता के हित को प्राथमिकता दी जाये तो 35 Km³ पानी एम.एस.सी टैंक तकनीक जैसी नवोन्मेषी तकनीक के माध्यम से मात्र दो वर्षों में उपलब्ध कराया जा सकता है। उनका दावा है कि एम.एस.सी टैंक तकनीक के माध्यम से तीन वर्षों में 270 Km³ तक पानी संग्रहीत कर किसानों को पूर्ण सिंचाई और उद्योगों को आवश्यक आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है।
वैज्ञानिक ने सरकार पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि विभागीय क्रियाकलापों के कारण देश को आर्थिक क्षति का भी सामना करना पड़ रहा है। शोधकर्ता वैज्ञानिक राठी ने एक गणना पेश करते हुए कहा कि यदि विभाग द्वारा एलियनों/अनिर्दिष्ट उपभोक्ताओं को दिए जा रहे पानी की कीमत मात्र एक पैसा प्रति लीटर मानी जाए तो इससे सरकार को लगभग 90 लाख करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष वित्तीय नुकसान होता है, जो दो वर्षों के केंद्रीय बजट के बराबर है।
राठी ने जोर देकर कहा कि यह मामला सिर्फ तकनीकी या वित्तीय नहीं है। यह जीवन और मृत्यु का मामला है। उन्होंने सरकार, जल संपदा विभाग और सम्बद्ध अधिकारियों से मांग की कि वे तत्काल पारदर्शी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति से भी अपील की कि वे “आम लोगों के जीवन की रक्षा” के लिए संवैधानिक संरक्षण और तत्काल निर्देश जारी करें, ताकि करोड़ों भारतीयों को जहरीले जलपीने से बचाया जा सके।
विशेषज्ञों, नागरिक समाज और पीड़ित परिवारों का कहना है कि यदि राठी के दावे सत्य पाए जाते हैं तो यह केवल नीति विफलता नहीं बल्कि जनजीवन के प्रति गंभीर अपराध होगा। इसलिए शीघ्र, पारदर्शी और सक्षम कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार की अधिकृत प्रतिक्रिया अभी शेष है; अधिकारी बयान जारी करने की प्रक्रिया में बताए जा रहे हैं।
संग्लन :
(1) सर्वकालीन महानतम वैज्ञानिक श्याम सूंदर राठी का फोटो
(2) महामहिम राष्ट्रपति जी को लिखे पत्र की प्रति

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