Hot Posts

8/recent/ticker-posts

अस्मिता ने बदला भारतीय महिला रग्बी का भविष्य: 807 टीमें, 8,246 खिलाड़ी… नारी शक्ति का दमदार धमाका!

Published by : BST News Desk

जयपुर/राजस्थान : दिनांक 3 दिसंबर 2025, भारतीय महिला रग्बी के लिए यह वर्ष हर मायने में शानदार और व्यस्त रहा है। भारतीय महिला टीम ने सितंबर-अक्टूबर में आयोजित एशियाई रग्बी एमिरेट्स सेवन सीरीज़ (एक शीर्ष-स्तरीय प्रतियोगिता) में 10 टीमों में कुल मिलाकर छठा स्थान हासिल किया और इसी प्रदर्शन के दम पर टीम ने अगले वर्ष जापान में होने वाले एशियन गेम्स के लिए क्वालीफाई कर लिया है।

अस्मिता ने बदला भारतीय महिला रग्बी का भविष्य: 807 टीमें, 8,246 खिलाड़ी… नारी शक्ति का दमदार धमाका!

अस्मिता (Achieving Sports Milestones by Inspiring Women Through Action) ने भी अपने तरीके से भारत की रग्बी सफलता में अहम भूमिका निभाई है। जब इसे 2021 में लॉन्च किया गया था, तब इसका उद्देश्य वंचित पृष्ठभूमि की लड़कियों को खेलों से जोड़ना था, ताकि उनका संसार पारंपरिक भूमिकाओं से कहीं आगे बढ़ सके। चार वर्षों बाद इसका प्रभाव सबके सामने है।

माननीय केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा, “अस्मिता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की उस सोच को साकार करता है जिसमें नारी शक्ति भारत के विकास की प्रमुख प्रेरक है। वंचित समुदायों की बेटियों के दरवाजे तक खेल पहुंचाकर हम सिर्फ एथलीट नहीं बना रहे, बल्कि आत्मविश्वास, साहस और आकांक्षाओं को भी उजागर कर रहे हैं। महिला रग्बी का उभार दिखाता है कि नारी शक्ति को अवसर और मंच मिले तो क्या कुछ संभव हो सकता है। जब हम अपनी बेटियों में निवेश करते हैं, तो हम केवल खेल को नहीं, बल्कि संपूर्ण भारत के भविष्य को मजबूत करते हैं।”

इस वर्ष अब तक अस्मिता लीग्स में 807 टीमों और 8,246 खिलाड़ियों ने भाग लिया है—जो पिछले वर्ष के 319 टीमों और 3,238 खिलाड़ियों की तुलना में बड़ा उछाल है। अब तक 47 शहरों में यू-12, यू-15, यू-18 और सीनियर श्रेणियों में दो चरणों में अस्मिता लीग्स हो चुकी हैं। 6 दिसंबर से जोनल मुकाबले भी शुरू होने वाले हैं।

राजस्थान में आयोजित 2025 खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (KIUG) में कलिंगा इंस्टीट्यूट आफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलाजी (KIIT) ने फाइनल में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी को 17-5 से हराकर महिला रग्बी का स्वर्ण जीता। यहां आईं कुल 96 प्रतिभागियों में से 53 पहले अस्मिता लीगों में खेल चुकी थीं।

अस्मिता ने बदला भारतीय महिला रग्बी का भविष्य: 807 टीमें, 8,246 खिलाड़ी… नारी शक्ति का दमदार धमाका!

अस्मिता ने खिलाड़ियों को लगातार खेल से जुड़े रहने के मौके दिए हैं। अब वे ज़्यादा नियमित रूप से प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। अस्मिता से पहले खिलाड़ियों के लिए इवेंट्स बहुत कम होते थे। लगातार प्रतियोगिताओं के कारण अब प्रतिस्पर्धा और तीव्रता भी बढ़ रही है, और खिलाड़ी शुरुआत से ही अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर दिखती हैं।

वंचित पृष्ठभूमि से आने वाली अधिकांश खिलाड़ी पहले राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय नहीं कर पाती थीं। अस्मिता ने यह दूरी कम कर दी है। अब कई इवेंट्स उनके शहर या आसपास ही हो जाते हैं, और कभी-कभी वहीं आयोजित होते हैं जहां वे रहती हैं।

देशभर में अस्मिता लीग्स के आयोजन से खेल को पहचान भी बढ़ी है। बच्चे अब रग्बी के बारे में अधिक जानते हैं, और उसे सीखना, खेलना और अंततः उसमें करियर बनाना चाहते हैं।

भारतीय खिलाड़ी दुमुनी मारंडी कहती हैं, “बाहर से देखने पर रग्बी डराने वाला लग सकता है क्योंकि यह बहुत शारीरिक खेल है, लेकिन खेलना शुरू करते ही इसमें बहुत मज़ा आता है। बाहर से देखकर इसे मत आंकिए।” ओडिशा की यह स्टार खिलाड़ी कई अस्मिता लीग्स में हिस्सा ले चुकी हैं।

कई खिलाड़ियों ने खेल बदला, कुछ पहले एथलेटिक्स या कबड्डी में थीं लेकिन रग्बी अपनाने के बाद वे खेल से पूरी तरह जुड़ गईं। बिहार की अस्मिता खिलाड़ी गुड़िया कुमारी बताती हैं, “मैं पहले एथलेटिक्स में थी लेकिन एक रग्बी कोच के कहने पर जब रग्बी में आई, तो एथलेटिक्स को पूरी तरह भूल गई।”

अस्मिता लीग्स का उद्देश्य केवल विजेताओं को खोजना नहीं है, क्योंकि सभी खिलाड़ियों का बड़ा स्तर तक पहुंचना जरूरी नहीं, लेकिन अस्मिता चाहती है कि खिलाड़ी खेल से जुड़े रहें—सिर्फ अपने जुनून के लिए। नकद पुरस्कार भी इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं।

राजस्थान की भूमिका शुक्ला कहती हैं, “मैंने पहली बार 2023 में अस्मिता खेला। अस्मिता की सबसे अच्छी बात यह है कि यह उन खिलाड़ियों को भी मंच देता है जो राज्य या राष्ट्रीय टीम तक नहीं पहुंच पाते।”

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ