Published by : BST News Desk
जयपुर/राजस्थान : दिनांक 2 दिसंबर 2025,हर खिलाड़ी के करियर में एक ऐसा पल आता है जो उसके संघर्षों का असली मायने बताता है। उदुपी की धाविका कीर्थना के लिए वह पल जयपुर में आया, जब उन्होंने 11.94 सेकंड का समय निकालकर खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (KIUG) राजस्थान 2025 में महिलाओं की 100 मीटर स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता। एक ऐसा विजयी क्षण, जो वर्षों की मेहनत और मुश्किलों के बाद हासिल हुआ।
जैन यूनिवर्सिटी में मास्टर ऑफ कॉमर्स की दूसरी वर्ष की छात्रा कीर्थना ने यूनिवर्सिटी के लिए ट्रैक एंड फील्ड में पहला गोल्ड जीता, और खुद को देश की उभरती स्प्रिंट प्रतिभाओं में मजबूती से स्थापित किया। लेकिन इस जीत के पीछे संघर्ष, व्यक्तिगत धक्कों और अटूट जज्बे की लंबी कहानी है।
कीर्थना सिर्फ नौ साल की थीं और तीसरी कक्षा में पढ़ती थीं, जब उन्होंने अपने पिता को दिल का दौरा पड़ने से खो दिया। एक झटका जिसने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया। कुछ साल बाद, उनके कोच का भी एक हादसे में निधन हो गया, जिससे खेल छोड़ देने की आशंका और बढ़ गई। शुरुआत में वे 400 मीटर की धाविका थीं, लेकिन ग्रोइन इंजरी के चलते उनका करियर लगभग पटरी से उतर गया। लेकिन यही चोट उनके लिए मोड़ साबित हुई।
उनके बड़े भाई जो कि एक निजी पीटी शिक्षक हैं और परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य हैं, ने सबसे मुश्किल वक्त में उनकी जिम्मेदारी संभाली। 2021 में उन्होंने साहसिक फैसला लेते हुए कीर्तन को 100 मीटर स्प्रिंट पर फोकस करने को कहा, जहां उनकी नैसर्गिक गति सामने आ सकती थी और शरीर भी ठीक रह सकता था। तभी से दोनों ने एक शांत लेकिन दृढ़ टीम बनाकर निजी तौर पर ट्रेनिंग शुरू की और धीरे-धीरे लय और आत्मविश्वास वापस बनाया।
इसके बाद कीर्थना ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अगले दो वर्षों में उन्होंने 100 मीटर में खुद को जमाया और लगातार बेहतर प्रदर्शन करती रहीं। 2022 में उन्हें बड़ा मौका मिला। बेंगलुरु में हुए केआईयूजी में वे 4 गुणा 400 मीटर रिले की रजत पदक विजेता टीम का हिस्सा थीं। उसी सीजन में उन्होंने ऑल इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी गेम्स में अपना पहला रिले गोल्ड जीता, जिसके बाद अगले वर्ष चेन्नई में इसी इवेंट में सिल्वर भी हासिल किया।
मार्च 2023 में उन्होंने यू-23 राज्य मीट में 11.86 सेकंड का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय दर्ज किया—एक निशान जिसे वे जयपुर में पार करना चाहती थीं।
उनकी प्रगति लगातार जारी रही और सोमवार को हासिल किया गया 100 मीटर गोल्ड उनके करियर का बड़ा मील का पत्थर है केआईयूजी में उनका पहला व्यक्तिगत पदक। इससे पहले वे सिर्फ रिले स्पर्धाओं में सफल रही थीं।
22 साल की कीर्थना ने कहा, “मैं अपना पर्सनल बेस्ट तोड़ना चाहती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसके बावजूद केआईयूजी में यह गोल्ड मेरे लिए खास है क्योंकि यह मेरा पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक है।”
2017 स्कूल गेम्स की पदक विजेता और तीन केआईयूजी एडिशन की परिचित नाम बन चुकी कीर्तन इस बात को समझती हैं कि उनका सफर अभी पूरा नहीं हुआ है। जयपुर में भी उनका अभियान खत्म नहीं हुआ है। वह केआईयूजी 2025 के आखिरी दिन 4 गुणा 400 मीटर रिले में उतरेंगी, जहां उनका लक्ष्य एक और पदक जीतना है।
उन्होंने आत्मविश्वास से कहा, “हमने रिले के लिए अच्छी तैयारी की है और दोबारा गोल्ड जीतने के लिए तैयार हैं।”
सीजन खत्म होने के साथ ही कीर्थना 2026 की तैयारियों की ओर देख रही हैं। लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता चोटों से दूर रहना है—एक सबक जो उन्होंने अपने शुरुआती संघर्षों से सीखा है। अगले साल होने वाले एशियन गेम्स की ओर नजर रखते हुए कीर्तन खुद को बेहतरीन मौका देना चाहती हैं।


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