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स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती जी महाराज ने प्रेस वार्ता में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा स्वयं को शंकराचार्य बताकर बिहार में राजनीतिक प्रचार करने और नाटक मंचन में विवादास्पद अभिनेत्री को ‘मंदोदरी’ की भूमिका दिए जाने पर कही बड़ी बात

By विनय मिश्रा नई दिल्लीदिनांक  20-09-2025 परमहंस परिव्राजक दंडी स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती जी महाराज तुगलक रोड़ स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर पहुंचे जहां उन्होंने विधि विधान से पूजा अर्चना की ,इस मौके पर मौजूद मंदिर के पुजारी ने स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती जी का मंदिर में पधारने पर स्वागत किया। मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती जी ने कहा की आज संजोग ही है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने जो भगवान नारायण के लिए जो कुछ भी कहा शायद उनको जरूर आत्मचिंतन हुआ होगा तब जाकर आज सुबह हनुमान मंदिर आकर पूजा अर्चना कर ये सिद्ध कर दिया की कभी कभी गलती हो जाती है पर हमारे सनातन धर्म में क्षमा को अत्यंत विशेष गुण माना गया है जब कोई गलती हो जाती है तब सद्गुणी व्यक्ति उसे सुधारने का प्रयास करता है ,उन्होंने आगे कहा की सनातन धर्म में पूज्य संत महात्मा और आचार्यजन सदैव ऐसे व्यक्तियों को सुधारकर मार्गदर्शन देने का कार्य करते है यही हमारे सनातन धर्म की श्रेष्ठता है।

स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती जी महाराज ने प्रेस वार्ता में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा स्वयं को शंकराचार्य बताकर बिहार में राजनीतिक प्रचार करने और नाटक मंचन में विवादास्पद अभिनेत्री को ‘मंदोदरी’ की भूमिका दिए जाने पर कही बड़ी बात

अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा स्वयं को शंकराचार्य बताकर बिहार में राजनीतिक प्रचार करना और गौ माता के नाम पर वोट माँगना सनातन धर्म की मर्यादा, भारतीय न्याय व्यवस्था तथा धार्मिक परंपराओं का खुला उल्लंघन है। यह अत्यंत चिंता का विषय है कि जो व्यक्ति न्यायालयों से भगोड़ा घोषित हो चुका है, वह आज धर्म और अध्यात्म के नाम पर जनता को भ्रमित कर रहा है।

विदित हो कि अभिमुक्तेश्वरानंद कोई वैध शंकराचार्य नहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2022 में उन पर रोक लगाई थी। महाराष्ट्र सरकार ने भी इन्हें शंकराचार्य मानने से सख्ती से इंकार किया था। वाराणसी की अदालत ने गैर-जमानती वारंट और कुर्की आदेश जारी कर इन्हें फरार घोषित किया। इतना ही नहीं, इनके विरुद्ध उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित अनेक राज्यों में आपराधिक मुकदमे लंबित हैं। हाल ही में 363 करोड़ रुपये के वित्तीय घोटाले, फर्जी शेल कंपनियाँ बनाकर धोखाधड़ी और जनता की आस्था से खिलवाड़ के गंभीर आरोप भी सामने आए हैं।

एक ओर ऐसे मामलों से घिरे व्यक्ति द्वारा चुनाव प्रचार में उतरना और साधु-संत की गरिमा का राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग करना न केवल धर्म का अपमान है, बल्कि लोकतंत्र पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। सन्यास का अर्थ है त्याग, साधना और समाज का मार्गदर्शन। सन्यासी का धर्म पूजा-पाठ और समाजसेवा है, न कि सत्ता और चुनाव की राजनीति। अभिमुक्तेश्वरानंद द्वारा चलाया जा रहा तथाकथित "गौ माता–राष्ट्र माता अभियान" दरअसल उनके आपराधिक मामलों से बचने का हथकंडा भर है, न कि कोई वास्तविक धर्मसेवा।

इस संबंध में माननीय मुख्य न्यायाधीश और भारत सरकार से आग्रह है कि अभिमुक्तेश्वरानंद को तुरंत गिरफ्तार कर उन पर कठोरतम कार्रवाई की जाए। जब तक ऐसे लोग खुलेआम धार्मिक पद का दुरुपयोग करते रहेंगे, तब तक समाज में भ्रम फैलता रहेगा और आस्था को ठेस पहुँचती रहेगी।

इसके साथ ही, एक अन्य गंभीर विषय पर भी ध्यान आकर्षित किया गया। दिल्ली में हाल ही में नाटक मंचन में विवादास्पद अभिनेत्री को ‘मंदोदरी’ की भूमिका दिए जाने पर सनातनी समाज ने कड़ा विरोध जताया है। यह स्पष्ट कहा गया कि भगवान श्रीराम, माता सीता या किसी भी सनातन देवी-देवता के चरित्र को निभाने का अधिकार केवल योग्य, तपस्वी और धर्मनिष्ठ व्यक्तियों को ही होना चाहिए। आजकल फैशन बन गया है कि बिना शास्त्रीय अध्ययन और साधना किए लोग व्यास पीठ पर बैठ जाते हैं या सीरियल्स/नाटकों में धार्मिक किरदार निभाकर धर्म की गरिमा से खिलवाड़ करते हैं। यह प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए।

उधर, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में इस बार ऐतिहासिक शारदा नवरात्रि उत्सव का आयोजन हो रहा है। धारा 370 हटने के बाद यह पहला अवसर होगा जब इतने व्यापक स्तर पर धार्मिक आयोजन वहाँ संपन्न होंगे। शारदा पीठ, खीर भवानी माता, शंकराचार्य मंदिर सहित अनेक तीर्थस्थलों पर विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। कुलगांव में 500 कश्मीरी पंडितों की उपस्थिति में गणेश जी के नूतन मंदिर का शिलान्यास किया जाएगा। यह आयोजन कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास और सनातन आस्था की पुनर्स्थापना की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

प्रेस वार्ता में यह भी कहा गया कि कश्मीर हमारे राष्ट्र के शरीर का मस्तिष्क है। जब तक कश्मीर स्वस्थ और सुरक्षित नहीं होगा, भारत भी पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं रह सकता। पीओके में स्थित शारदा माता का मूल स्थान भारत की सनातन परंपरा के लिए अत्यंत पवित्र है। अब समय आ गया है कि सरकार पीओके को भारत में पुनः मिलाने की दिशा में ठोस पहल करे।

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