By चंदन शर्मा:फरीदाबाद। जन्माष्टमी के पावन अवसर पर किड्स पैराडाइज़ पब्लिक स्कूल, फरीदाबाद में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर विद्यालय का परिसर भगवान कृष्ण की झांकियों और रंगीन पुष्पों से सजाया गया, जिससे एक दिव्य वातावरण का निर्माण हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत धार्मिक पूजा और आरती से हुई, जिसमें विद्यालय के छात्र, शिक्षक और अभिभावक शामिल हुए। पूजा स्थल को विशेष रूप से सजाया गया और भगवान कृष्ण की झांकी स्थापित की गई। आरती के दौरान दीप जलाए गए और पूरे परिसर में एक आध्यात्मिक माहौल व्याप्त हो गया।
बच्चों ने भगवान कृष्ण की जीवनकथा पर आधारित नाटकों और लघु नृत्य प्रस्तुतियों की शानदार प्रस्तुति दी। कृष्ण लीला, रासलीला और अन्य पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने दर्शकों का मन मोह लिया। बच्चों की उमंग और उत्साह ने कार्यक्रम को रंगीन और जीवंत बना दिया। विद्यालय के संगीत विभाग ने विशेष भजन और सांस्कृतिक गीतों की प्रस्तुतियां दीं। "हरे कृष्णा हरे राम" और "मुरली मनोहर" जैसे भजन ने समारोह में एक दिव्य ऊर्जा का संचार किया।
कार्यक्रम में बच्चों के लिए विभिन्न खेलकूद और प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया, जिसमें कृष्ण वेशभूषा प्रतियोगिता और रंगोली सजाने की प्रतियोगिता शामिल थी। इन प्रतियोगिताओं में बच्चों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। समारोह के समापन पर विशेष प्रसाद और मिष्ठान्न वितरित किए गए। विद्यालय ने सभी उपस्थित लोगों के लिए स्वादिष्ट व्यंजन और मिठाइयों की व्यवस्था की, जिसे सभी ने आनंद के साथ सेवन किया।
विद्यालय की प्रधानाचार्य, ने कार्यक्रम के समापन पर कहा, "जन्माष्टमी का यह पर्व हमें भगवान कृष्ण के आदर्शों और शिक्षाओं को आत्मसात करने का अवसर प्रदान करता है। आज का कार्यक्रम बच्चों और अभिभावकों के लिए विशेष रूप से यादगार रहा है। हमने मिलकर इस दिव्य पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया और भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया है।"
कार्यक्रम का समापन भगवान कृष्ण की आरती और प्रसाद वितरण के साथ हुआ। सभी ने मिलकर इस विशेष अवसर को यादगार बनाने के लिए आयोजन समिति की सराहना की और जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ दीं। किड्स पैराडाइज़ पब्लिक स्कूल का यह भव्य आयोजन न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण घटना रहा, जिसने बच्चों और समुदाय के बीच आध्यात्मिक जागरूकता और सांस्कृतिक समर्पण को बढ़ावा दिया।
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