By विनय मिश्रा दिल्ली:- जन-केंद्रित समावेशी विकास की प्रेरणा से एमएसएमई के विकास पर लगातार ध्यान दिए जाने की हम सराहना करते हैं। एमएसएमई की पहुँच, किफ़ायत, और उपलब्धता बढ़े, इसके लिए उन्हें पर्याप्त वित्त, प्रशिक्षण और टेक्नोलॉजी मिल सकेंगे, यह देखकर हमें ख़ुशी हुई है। एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और इस प्रोत्साहन से उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।
2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) अपनाने को बढ़ावा देने का प्रयास भी सराहनीय है। मैनुफ़ैक्चरिंग और चार्जिंग इन्फ़्रास्ट्रक्चर मज़बूत होने से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की विश्वसनीयता बढ़ेगी, और वाहन मालिकों एवं ड्राइवर्स के बीच इन्हें अपनाए जाने को बढ़ावा मिलेगा।
अंत में, हम घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दिखाई गई भौगोलिक समावेशिता की सराहना करते हैं। प्रस्तावित आर्थिक रेलवे कॉरिडोर कार्यक्रमों से लॉजिस्टिक्स की क्षमता बढ़ेगी, लागत में कमी आएगी, और हम सिंगल-डिजिट लॉजिस्टिक्स लागत के लक्ष्य की ओर बढ़ सकेंगे। हाल ही में घोषित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर से इस क्षेत्र में मुक्त व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा।
हम समावेशी वृद्धि और सशक्तिकरण पर केंद्रित अंतरिम बजट 2024-2025 का स्वागत करते हैं।
महत्वपूर्ण सूचना: वित्त वर्ष 2025 में 5.1% के अनुमानित वित्तीय घाटे से 2025-26 के लिए सरकार द्वारा 4.5% के निर्धारित लक्ष्य की ओर का मार्ग दिखाई दे रहा है।
स्किल इंडिया मिशन के अंतर्गत 1.4 करोड़ युवाओं के प्रशिक्षण द्वारा उत्पन्न महत्वपूर्ण प्रभाव से कौशल विकास और देश में कार्यबल के विकास की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है। इसके अलावा, एक लाख करोड़ रुपये के वित्तीय कोष के लॉन्च से निजी क्षेत्र उभरते हुए क्षेत्रों में अनुसंधान और इनोवेशन को बढ़ा सकेंगे, जो देश के क्षमता निर्माण और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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