Published by : BST News Desk
दिनांक: 24 अप्रैल 2025, महत्मा गांधी संस्थान जलवायु परिवर्तन से मुकाबला (MGICCC), बकौली, दिल्ली – 110036 द्वारा 22 से 24 अप्रैल 2025 तक ‘सार्वजनिक अवसंरचना योजना में हरित क्षेत्र के एकीकरण’ विषय पर द्वितीय श्रेणी अधिकारियों के लिए तीन दिवसीय क्षमता निर्माण प्रशिक्षण/कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें कुल 36 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यशाला का उद्देश्य:
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य द्वितीय श्रेणी अधिकारियों की क्षमता का विकास करते हुए उन्हें सार्वजनिक अवसंरचना योजनाओं में हरित क्षेत्रों को एकीकृत करने के लिए प्रशिक्षित करना था। विशेषज्ञ सत्रों, क्षेत्र भ्रमण और समूह गतिविधियों के माध्यम से इस कार्यशाला के प्रमुख उद्देश्य थे।
हरित अवसंरचना के पारिस्थितिक, सामाजिक और स्वास्थ्य लाभों के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
सतत शहरी योजना पद्धतियों पर तकनीकी ज्ञान प्रदान करना।
विभागीय समन्वय और समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर अवसंरचना परियोजनाओं में हरित समाधानों के एकीकरण हेतु व्यावहारिक उपकरण और रणनीतियाँ देना।
पहले दिन की प्रमुख बातें – 22 अप्रैल 2025
कार्यशाला का उद्घाटन श्री सौरभ शर्मा, आईएफएस, निदेशक MGICCC और श्री अंकित कुमार, आईएफएस, उप निदेशक MGICCC द्वारा दीप प्रज्वलन और प्रतीकस्वरूप हरे उपहार के साथ हुआ।
प्रथम सत्र
विषय: ‘हरित अवसंरचना का परिचय और शहरी योजना में इसकी भूमिका’
वक्ता: प्रो. मुकेश राणा, प्रमुख, भौतिकी विभाग, एसएसएन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
मुख्य बिंदु:
हरित अवसंरचना प्राकृतिक और अर्ध-प्राकृतिक क्षेत्रों का एक नेटवर्क होती है जो स्वच्छ वायु, जल, जैव विविधता संरक्षण, जलवायु लचीलापन और जीवन की गुणवत्ता जैसे पारिस्थितिक सेवाओं के लिए बनाई जाती है।
यह शहरी गर्मी द्वीप प्रभाव को कम करती है, प्रदूषण घटाती है, जल प्रवाह नियंत्रित करती है और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है।
द्वितीय सत्र
विषय: ‘हरित क्षेत्रों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन’
वक्ता: श्री राकेश कुमार झा, वरिष्ठ संकाय, आईएएस अकादमी, दिल्ली
मुख्य बिंदु:
जलवायु परिवर्तन के कारण: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, वनों की कटाई, शहरीकरण
प्रभाव: बढ़ते तापमान, चरम मौसम, जैव विविधता की हानि
समाधान: स्थानीय और वैश्विक स्तर पर कार्रवाई
तृतीय सत्र
विषय: ‘हरित क्षेत्र का शहरी सततता पर प्रभाव’
वक्ता: प्रो. वी.सी. पांडे, निदेशक, HMRTM, बकौली
दूसरे दिन की प्रमुख बातें – 23 अप्रैल 2025
MGICCC परिसर भ्रमण – लकड़ी आधारित गैसीफायर, कम लागत वाले चूल्हे, सौर गीजर, हाइड्रोपोनिक खेती जैसे हरित नवाचारों का प्रदर्शन।
इंडिया हैबिटैट सेंटर, दिल्ली में हरित भवन अवधारणा पर सत्र – ऊर्जा दक्ष वास्तुकला, जल संरक्षण प्रणाली आदि।
तीसरे दिन की प्रमुख बातें – 24 अप्रैल 2025
प्रथम सत्र
विषय: ‘हरित क्षेत्र और जनस्वास्थ्य: अवसंरचना योजना में स्वास्थ्य का समावेशन’
वक्ता: डॉ. अजय कुमार, सहायक प्रोफेसर, संरचनात्मक इंजीनियरिंग, एनआईटी बकौली
मुख्य बिंदु:
बढ़ते शहरों में हरित क्षेत्र की कमी
प्रसिद्ध शहर – पार्कों के कारण रहने योग्य
पर्यटकों के आकर्षण के रूप में हरित स्थानों का महत्व
चुनौतियाँ – स्थान, संसाधन, रखरखाव
द्वितीय सत्र
विषय: ‘शहरी क्षेत्रों में पारिस्थितिक योजना और पुनर्स्थापन’
वक्ता: प्रो. अनिल कुमार हरिताश, DTU
मुख्य बिंदु:
जल-संवेदनशील शहरी डिज़ाइन
ऊर्जा दक्षता, सामाजिक स्थानों तक पहुंच
प्राकृतिक तंत्रों का संरक्षण व पुनर्स्थापन
तृतीय सत्र
विषय: ‘हरित क्षेत्र योजना में सामुदायिक भागीदारी’
वक्ता: डॉ. नरेंद्र कुमार, निदेशक, स्वालंबन NGO
मुख्य बिंदु:
LEED प्रमाणन
सामुदायिक भागीदारी के लाभ
कचरे की परिभाषा, समस्याएं और समाधान
संसाधन पोर्टल (Sansaadhan Portal) का परिचय
कार्यशाला के समापन सत्र में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए और उनके योगदान की सराहना की गई।
अंकित कुमार ने कहा, “यह प्रशिक्षण केवल शैक्षणिक नहीं है, बल्कि यह एक कार्यवाही के लिए आह्वान है। आइए हम सभी अपने-अपने विभागों में लौटकर इन हरित रणनीतियों को लागू करें ताकि एक स्वस्थ और सतत भविष्य का निर्माण हो सके।”
MGICCC के बारे में:
MGICCC का उद्देश्य जलवायु साक्षरता को बढ़ावा देना, प्रशासनिक क्षमताओं का विकास करना और सरकारी कार्यप्रणालियों में हरित शासन के सिद्धांतों को लागू करना है।
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