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समाजसेवी व वरिष्ठ प्रोफेसर के.पी.सिंह को अंतर्राष्ट्रीय सावित्रीबाई फुले अवार्ड से सम्मानित किया गया

By विनय मिश्रा नई दिल्लीदिल्ली विश्वविद्यालय के सूचना और पुस्तकालय विज्ञान विभाग में प्रसिद्ध शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता, समाजसेवी व वरिष्ठ प्रोफेसर के.पी.सिंह को पुस्तकालय विज्ञान , शिक्षा व समाजसेवा के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय योगदान के लिए  अंतर्राष्ट्रीय सावित्रीबाई फुले अवार्ड --2025 से सम्मानित किया गया।

समाजसेवी व वरिष्ठ प्रोफेसर के.पी.सिंह को अंतर्राष्ट्रीय सावित्रीबाई फुले अवार्ड से सम्मानित किया गया

यह सम्मान उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में स्थापित गाँधी भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय माता सावित्रीबाई फुले शोध संस्थान के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन , प्रोफेसर सुरेश कुमार , प्रो. मनोज कुमार केन व प्रो. प्रेरणा मल्होत्रा ने पुष्पगुच्छ , अंगवस्त्र , स्मृति चिन्ह , प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। 

कार्यक्रम में प्रो.गीता सहारे ,  डॉ.उस्मानी , डॉ.जनेन्द्र नारायण सिंह , डॉ.तरुणा जोशी , डॉ. निवेदिता शर्मा , डॉ.अशोक कुमार , डॉ.हंसराज , डॉ.गरिमा गौड़ श्रीवास्तव , डॉ.राजीव शर्मा , डॉ.संजीव शर्मा , डॉ.राजेश कुमार , डॉ.कुमार संजय , डॉ.महेश चंद्र आदि उपस्थित थे। 

संस्थान के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने अपने संबोधन में माता सावित्रीबाई फुले के सामाजिक महत्व को बताते हुए मुख्य रूप से स्त्री शिक्षा , स्त्री सशक्तिकरण , रोजगार में स्त्री की भूमिका और समाज में स्त्रियों की स्थिति पर अपने विचार रखे। उन्होंने वर्तमान परिदृश्य में शैक्षिक पाठ्यक्रमों में माता सावित्रीबाई फुले को पढ़ाना चाहिए जिससे बालक /बालिका उनसे प्रेरित हो , इसके साथ ही समाज में स्त्रियों के प्रति नवीन दृष्टिकोण पैदा हो। 

डॉ.सुमन ने अपने संबोधन में कहा कि वह अपने शोध संस्थान के माध्यम से यूजीसी व शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर सावित्रीबाई फुले को  स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जाए , इनपर शोधकर्ताओं द्वारा शोध हो ताकि वर्तमान पीढ़ी को पता चले कि उन्होंने कितना कष्ट सहकर बालिका शिक्षा के लिए काम किया। 

प्रोफेसर के.पी.सिंह ने सम्मानित होने पर कहा कि संस्थान ने मेरा नहीं बल्कि समाज हित में किए गए मेरे द्वारा कार्यो को सम्मानित किया है। इस सम्मान से मुझे और प्रेरणा मिलेगी तथा भविष्य में और युवाओं के लिए ज्यादा समय देंगे व उनके लिए काम किया जाएगा।  उन्होंने बताया कि सावित्रीबाई फुले देश की पहली ऐसी महिला है जिन्होंने बालिकाओं की शिक्षा पर बल दिया । बालिका शिक्षा उनकी पहली प्राथमिकता में था इसलिए उन्हें पहले उनके पति ने पढ़ाया फिर खुद पढ़कर बालिकाओं को पढ़ने के लिए तैयार किया। 

फुले दम्पत्ति ने महाराष्ट्र में पहला विद्यालय बालिकाओं के खोला। उन्होंने मांग रखी कि सावित्रीबाई फुले को पाठ्यक्रम में शामिल कर आज की युवा पीढ़ी को उनके विषय में बताया जाना चाहिए , साथ ही उन पर डीयू व अन्य विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हो और उनके साहित्य का अनुवाद कर भारतीय भाषाओं में लोग पढ सके। प्रो.सिंह ने आगे कहा कि जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है उसने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा पर जोर दिया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत रोजगारपरक पाठ्यक्रम पर बल दिया है। आज सबसे ज्यादा शिक्षा के क्षेत्र में बालिकाएं आगे बढ़ रही हैं। मंच संचालन डॉ. प्रेरणा मल्होत्रा ने किया तथा धन्यवाद डॉ.ज्ञानेंद्र सिंह द्वारा किया गया।

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