फिल्म: 'चंदू चैंपियन'
स्टार कास्ट: कार्तिक आर्यन, श्रेयस तलपड़े, राजपाल
यादव, विजय राज़, भाग्यश्री बोर्से, यशपाल शर्मा, ब्रिजेंद्र काला, भुवन अरोड़ा.
निर्देशक: कबीर ख़ान.
संगीत - प्रीतम
स्टार रेटिंग: 4.1
फिल्म 'चंदू चैंपियन' कौन हैं मुरलीकान्त पेटकर?
कार्तिक आर्यन की फिल्म 'चंदू चैंपियन' आज यानी 14 जून 2024 को सिनेमाघरों में दस्तक दे रही है, फिल्म चंदू चैंपियन' की कहानी एक ऐसे गुमनाम नायक की कहानी है, जो देश के पहले पेराओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता रहे है। ये एक ऐसी फिल्म है जो आपके अंदर एक अलग जज्बा भर देगी, अगर मोटिवेशन ढूंढ रहे हैं, तो इस फिल्म को देख लीजिए बस. शुरुआत से ही फिल्म कमाल है, आपको बांध लेती है, मुरलीकांत की कहानी में आप उसके साथ हो लेते हैं. गांव के सीन काफी अच्छे लगते हैं, बीच में एक आध गाना थोड़ा अखरता है लेकिन इतना नहीं कि फिल्म में आपकी दिलचस्पी कम हो जाए. फर्स्ट हाफ कमाल का है, सेकेंड हाफ थोड़ा स्लो है लेकिन उसकी वजह ये भी है, कि वहां व्हीलचेयर पर बैठे मुरली की तकलीफ को कायदे से दिखाना जरूरी था, और जल्दी में वो दर्द कहीं छूट सकता था। फिल्म आपको रुलाती है, इमोशनल करती है, हंसाती है, एंटरटेन करती है और बताती है की जिंदगी में हम कई बार बहाने बनाते हैं किसी काम को न करने के लेकिन मुरलीकांत ने तो व्हीलचेयर पर ये कमाल कर दिया और आप एक नए जोश के साथ थियेटर से बाहर आते हैं।
'चंदू चैंपियन' की कहानी
फिल्म का नायक है मुरली (कार्तिक आर्यन) जो सांगली (महाराष्ट्र) के गांव पैठ इस्लामपुर का रहने वाला है, पिता और बड़ा भाई दर्जी हैं, लेकिन मुरली का मन पढ़ने से ज्यादा खेल में लगता है, चंदू चैंपियन. बचपन से (मुरलीकांत) का एक ही सपना था, देश के लिए Olympic में गोल्ड मेडल लाना, सब लोग उसे चंदू चैंपियन कहकर मजाक उड़ाते हैं। चंदू शब्द पप्पू की तरह इस्तेमाल किया गया है। तब मुरली को जिद हो जाती है, खुद को सही साबित करने की और वो एक पहलवान के अखाड़े पहुंच जाता है। वो उसे सिखाता नहीं लेकिन काम के लिए रख लेता है। उसे नौसिखिया समझकर पहलवान अपने भांजे से उसे भिड़ा देता है, लेकिन खुद को साबित करने के लिए आतुर मुरली उसे रगड़ देता है। पहलवान हैरान था, उसका प्रधान जीजा मुरली व साथियों पर हमला कर देता है. मुरली पुणे भाग जाता है, वहां किसी तरह से आर्मी की इंजीनियरिंग कोर में उसकी नौकरी लग जाती है।
आर्मी में रहकर उसका रुझान बॉक्सिंग की तरफ होता है, आर्मी का कोच टाइगर अली (विजय राज) उसे बॉक्सिंग के सारे गुर सिखाता है, और एक दिन टोक्यो इंटरनेशनल डिफेंस गेम्स में वो बॉक्सिंग में सिल्वर मेडल जीत जाता है. कोच गोल्ड न मिलने से नाराज होकर सिखाना बंद कर देता है।
कश्मीर में उनके कैंप में 1965 युद्ध में हवाई हमला होने
पर मुरली को कई गोलियां लगती हैं. रीढ़ की हड्डी में से गोली निकल ही नहीं पाती, पैर
बेकार हो जाते हैं. तब वही कोच अली फिर उसे नए गेम यानी स्विमिंग
में पैरा ओलंपिक्स गोल्ड दिलवाता है।
ये कहानी सच्ची है और ये कहानी देखनी चाहिए. ये कहानी देश
को पता होनी चाहिए।
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